दोस्तों,
मानव जीवन में धातुओं का सदियों से महत्वपूर्ण योगदान रहा है और हमारी एक श्रृंखला कहानी धातुओं की आपको हमारे कल और आज के जीवन में इन्हीं धातुओं के पारंपरिक और आधुनिक उपयोगों से रूबरू करवाती है। इस पोस्ट में दोस्तों मैं पवन शर्मा आपसे एक ऐसी ही धातु की जानकारी साझा करूँगा जो वैसे तो हल्की और मुलायम है, लेकिन अपने गुणों के बल पर इस धातु में कई ऐसे कठिन कार्य संभव करवाए हैं, जो अन्य धातुएं नहीं कर पाई। ये धातु है। 18 वीं शताब्दी के अंत में एक अंग्रेज कीमियागर ने शहर के पास बहते हुए एक झरने का खनीज जल उबाल आ तो उसे एक नया लवण प्राप्त हुआ। इस लवण का स्वाद कड़वा था। कुछ सालों बाद जब इस लवण की स्थायी शारर यानी सोडा या पोटाश के साथ प्रतिक्रिया करवाई गई तो सफेद रंग का एक हल्का पाउडर प्राप्त हुआ। के एक शहर मैगना जी के पास एक ऐसा खनीज मिला जिसके तापानुशीतन से भी ऐसा ही पाउडर प्राप्त हुआ। इस समानता के कारण लवण का नाम श्वेत मैग्नीशिया रखा गया।
1808 में एक अंग्रेज वैज्ञानिक हम फ्री देवी ने मैग्नीशिया के विश्लेषण से एक नया तत्व प्राप्त किया, जिसका नाम मैग्नीशियम रखा। उस वक्त तक तो किसी को यह मालूम ही नहीं था कि इस नए तत्व में उत्तम आतिशबाजी के गुण भी विद्यमान हैं। मैग्निशियम धातु एक सफेद चांदी जैसे रंग की है। ये धातु तांबे या लोहे से पांच गुना हल्की हैं और एल्यूमीनियम जैसी हल्की धातु भी इस से डेढ़ गुना भारी है। मैग्नीशियम का गलनांक मेल्टिंग पॉइंट बहुत ऊंचा नहीं है केवल 650 डिग्री सेल्सियस। लेकिन इसको गलाना यानी मेल्ट करना साधारण परिस्थितियों में काफी कठिन होता है। 550 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने पर ही यह जल उठता है और इसमें से चमकीली ज्वाला निकलने लगती है। इसी गुण के कारण अब
आतिशबाजी में भी मैग्नीशियम का उपयोग किया जाता है। इस धातु को जलाने के लिए माचिस की एक टेली ही काफी रहती है। क्लोरीनयुक्त वातावरण में यह साधारण ताप पर ही जलने लग जाती है। इसके जलने के समय बहुत बड़ी मात्रा में पैराबैंगनी किरणों निकलती है और उष्मा का बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जन होता है। इस ईंधन की कुछ
ग्राम मात्रा से ही एक गिलास बर्फीले पानी को भी उबाला जा सकता है। वायु में रखने पर ये धातु जल्दी से धुंधली हो जाती है क्योंकि इसके ऊपर ऑक्साइड की परत जमती है। मैग्नीशियम बहुत आक्रमणशील है और ये आसानी से अधिकांश धातुओं को ऑक्सीजन और क्लोरीन से वंचित कर देती है। इस धातु पर कई आम लोग सौदों, पौष्टिक पेट्
रोल और मिट्टी के तेल और खनीज तेल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन समुद्री जल के अंदर ये तुरंत जाती है। ठंडे जल के साथ मैग्निशियम आमतौर पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं करता परंतु गर्म जल में से ये बड़ी तेजी से हाइड्रोजन निकाल देता है। मैग्नीशियम करीब 200 से अधिक ज्ञात खनिजों में पाया गया है। इनमें से
एक खनीज में तो विशेष गुण है। एक रूमाल की तरह ही इसकी तय की जा सकती है। ऐसा खनीज 1953 में सुदूर पूर्व में मिला था। रासायनिक विश्लेषण से पता चला कि इस खनीज का मुख्य अवयव मैग्नीशियम का ऐल्युमिनियम सिलिकेट था और एस्बेस्टोस ग्रुप का खनीज था। इसे सबसे पहले सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक फेर्स माँ ने 20 वीं शताब्दी
के दूसरे दशक में युवराज भारत माला के पॉली गोरस नामक भंडार में खोजा था। इन अनोखे गुणों के कारण इस खनीज को अक्सर पहाड़ी चमड़ा भी कहा जाता था। उत्पादन के मुख्य स्रोतों में मैग्नेसाइट 2 मई और कॉर्न लाइट शामिल है। मैग्नीशियम केवल धरती की परतों में ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है। महासागरों और सागरों में भी इसके भंडार विद्यमान हैं। आपको हैरानी होगी की एक घनमीटर समुद्री जल में चार किलोग्राम मैग्नीशियम निकलता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस धातु का उबार अपनी चरमसीमा पर था और साल भर में 80,000 वन धातु प्राप्त की गई। आज कल बहुत सारे देशों में आज कल बहुत सारे देशों में विशेषकर जहाँ मैग्नीशियम खनीज के बड़े भंडार नहीं है, समुद्री जल से प्राप्त करने वाले मैग्नीशियम कारखाने बनाए गए हैं। खारी झीलों में से भी मैग्नीशियम प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि इनके जल में मैग्नीशियम क्लोराइड होता है। आइए अब जानते हैं कि इस धातु और इसके यौगिकों के उपयोग क्या है।
बहुत अधिक हल्का होने के कारण मैग्निशियम निर्माण कार्य के लिए अच्छा पदार्थ है। लेकिन शुद्ध रूप में यह बेहद कोमल और स्थायी होने के कारण इंजीनियर जैसे अन्य धातुओं के साथ मिलाकर विभिन्न अलॉय के रूप में उपयोग करते हैं। मैग्नीशियम के ऐल्युमिनियम, जिंक और मेन गली से लड़ें। बेहद विस्तृत है मैग्नीशियम मैं लोन से बने पुर्जे ऐल्युमिनियम के पुर्जों के मुकाबले2 0-30 प्रतिशत हल्के ढलवे लोहे और इस्पात की पुरुषों की तुलना में 50-75 प्रतिशत तक हल्के होते हैं। हवाई जहाजों के निर्माण में मैग्नीशियम के हल्के वजन के कारण इनका बड़े पैमाने पर प्रयोग होता है। दूसरे महायुद्ध के समय मैग्नीशियम अलाउअन्स हवाई जहाज़ के पहिये उपकरणों की बॉडी और दूसरे पुर्जे बड़े पैमाने पर बनाई गई। अब तो लंबे समय से रॉकेटों के निर्माण में भी मैग्नीशियम बेहद प्रचलित है। मैग्नीशियम की आप रोधक ता की बदौलत अंतरिक्ष यानों में इससे बने बाहरी हिस्से स्टील के बने हिस्सों की तुलना में कम गर्म होते हैं। मोटर कारों के निर्माण, कपड़ा उद्योग, पुस्तकों के प्रकाशन, रेडियो तकनीक, प्रकाशिकी उपकरणों में से बने हल्के का उपयोग किया जा रहा है। धातुओं के उत्पादन में भी मैग्नीशियम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मीडियम क्रोमियम, टाइटेनियम और ज़रकोनियम जैसे धातुओं के उत्पादन में इसका उपयोग अपचायक के रूप में किया जाता है।
गले हुए लोहे में मैग्नीशियम मिलाने से लोहे की संरचना और यांत्रिकी, ये गुण बेहद उत्तम हो जाते हैं। इसके अलावा मैग्नीशियम इस्पात और अलायंस के अपचयन में भी सहायक है। जलाने पर मैग्नीशियम में से जो तेज़ झिलमिली ज्वाला निकलती है, इस गुण के कारण युद्ध सामग्री के निर्माण में बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जाता है। इससे सिग्नल देने वाले रॉकेट, ट्रेसर, बुलेट गोली और अग्नि बम बनाए जाते हैं। कई वर्ष पहले तक फोटोग्राफर इस तत्व का उपयोग करते रहे हैं। लेकिन अब इस कार्य में मैग्निशियम पाउडर उपयोग करने की जगह शक्तिशाली विद्युत बल्ब इस्तेमाल किए जाते हैं जो फोटो खींचते समय तेज प्रकाश पैदा कर सकते हैं। दोस्तों, आपको मालूम होना चाहिए कि मैग्नीशियम धातु क्लोरोफिल का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो सौर ऊर्जाका अवशोषण करता रहता है। कार्बनिक पदार्थों के संगठन की इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण यानी फोटोसिंथेसिस कहते हैं, जो हरे पौधों का सबसे विशिष्ट गुण है। इस के दौरान हरी पत्तियाँ ऑक्सीजन निश्वासित भी करती है। क्लोरोफिल के बिना जीवन असंभव है, और मैग्नीशियम के बिना क्लोरोफिल असंभव है, क्योंकि इसके अंदर हमेशा इस तत्व की 2% मात्रा मौजूद रहती हैं। आपको हैरानी होगी कि वनस्पतियो के एक मिलाकर 10 विद्यमान है। चिकित्सा क्षेत्र में भी मैग्नीशियम का विस्तृत उपयोग किया जा रहा है।
Copyright ©2023 meaningfulgyan.blogspot.com
Comments
Post a Comment